शनिवार, 5 अप्रैल 2014

161. एम.एच. 370: रहस्य गाथा



       भूमिका
फेसबुक मित्र दीपक जैन यति साहब अन्तर्राष्ट्रीय विषयों में अच्छा दखल रखते हैं। उन्होंने एक लिंक साझा किया था फेसबुक पर, जिसमें सीक्रेट ऑव द फेड डॉट कॉम नामक वेबसाइट ने लापता मलेशियाई विमान के रहस्य पर से पर्दा उठाया है- बेशक, अपने अन्दाज में। इसके कुछ समय बाद फेसबुक पर ही ब्रिगेडियर अरूण वाजपेई साहब ने भी इस विषय पर एक थ्योरी पेश की। दोनों ही रहस्योद्घाटनों को '2+2' की स्थिति में रखने पर पूरे प्रकरण का एक खाका तैयार हो जाता है।
अनुमानित घटनाक्रम  
ब्रिगेडियर साहब ने जो थ्योरी पेश की है, उसे संक्षेप में बयान करने पर कहानी कुछ यूँ बनती है:
अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से लौट रहे हैं। ऐसे ही एक दल पर तालिबान कब्जा कर लेता है- दो सील कमाण्डो को मार गिराते हुए। यह दल चालक रहित "ड्रोन" विमान के कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सिस्टम का था। तालिबान अन्यान्य साजो-सामान के साथ ही ड्रोन का कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल इक्विपमेण्ट भी हथिया लेता है। यह सामान 20 टन वजनी था तथा यह 6 क्रेटों में पैक किया हुआ था। यह घटनाक्रम बीते फरवरी माह का है।
तालिबान को चाहिए पैसा- इतनी उन्नत तकनोलॉजी उसके किसी काम की नहीं। वह रूस और चीन से सम्पर्क साधता है। रूस फिलहाल क्रीमिया मुद्दे पर व्यस्त है- वह रुचि नहीं दिखाता। चीन इस तकनोलॉजी का रहस्य भेदने के लिए भूखा बैठा है। वह लाखों डॉलर देने के वादे के साथ अपने 8 शीर्ष रक्षा वैज्ञानिकों का दल अफगानिस्तान भेजता है।
मार्च के शुरु में कभी 8 चीनी वैज्ञानिकों का दल तथा 6 क्रेटों का कार्गो मलेशिया पहुँचता है- अमेरिकी जासूसों की नजर से बचने के लिए यह रास्ता चुना जाता है। मलेशिया से चीन की उड़ान मात्र साढ़े चार घण्टों की है। मलेशिया में कार्गो को दूतावास में रखा जाता है- कूटनीतिक सुरक्षा के साथ।
इस बीच इजरायली गुप्तचरों के साथ अमेरिकी गुप्तचर उस कार्गो को दुबारा हासिल करने के लिए कमर कस चुके थे। जाहिर है, वे कार्गो के मलेशिया में होने का पता लगा लेते हैं।
चीनियों को नागरिक विमान से कार्गो ले जाना सही लगता है- कि अमेरिका को सन्देह नहीं होगा और होगा भी तो इतने निर्दोष नागरिकों को नुक्सान पहुँचाने से वह हिचकेगा। एमएच 370 सबसे उपयुक्त विमान था।
उस विमान में 5 अमेरिकी तथा इजरायली एजेण्ट भी सवार होते हैं- बेशक, किसी और पहचान के साथ। जिन 2 इरानियों की बात हो रही है- फर्जी पासपोर्ट वालों की, वे इजरायली सीक्रेट एजेण्ट हो सकते हैं।
थोड़ा-सा विषयान्तर। 9/11 के बाद से सभी बोइंग विमानों में "रिमोट कण्ट्रोल" सिस्टम लगाया जाने लगा है- यानि इन विमानों को जमीन से भी नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा आतंकवादियों द्वारा विमान के अपहरण को नाकाम करने के लिए किया गया है।
तो जैसे ही एमएच 370 मलेशिया की वायु सीमा को छोड़कर वियेतनामी वायु सीमा में प्रवेश करता है, अमेरिकी अपने किसी बेस से AWAC के माध्यम से विमान के सिगनल को जाम कर देते हैं, पायलट कण्ट्रोल सिस्टम को नकारा कर देते हैं और विमान को रिमोट कण्ट्रोल मोड में ले आते हैं। इसी दरम्यान विमान ने- थोड़ी देर के लिए- अपनी ऊँचाई खोयी थी।
इसके बाद विमान में सवार अमेरिकी/इजरायली एजेण्ट हरकत में आते हैं, विमान को कब्जे में लेते हैं, ट्रान्सपोण्डर तथा अन्यान्य सूचना तंत्रों को नाकामयाब करते हैं और विमान को पश्चिम की ओर मोड़ देते हैं।
विमान को पूर्व की ओर फिलीपिन्स या गुआम स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे की तरफ भी ले जाया सकता था, मगरिक दक्षिणी चीन सागर के चीनी राडारों का खतरा था। सो, विमान को पश्चिम मोड़ा गया- हिन्द महासागर  स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे दियेगो गार्सिया पर उतारने के लिए। इधर सिर्फ भारतीय राडारों का भय है, जिसे अमेरिका बस एक "घुड़की" में दूर कर सकता है। यही हुआ भी होगा।  मलेशिया और थाइलैण्ड के अलावे भारतीय राडारों ने भी विमान की गतिविधि को नोट किया है, मगर अमेरिकी घुड़की से सभी चुप हैं। (ध्यानरहे, "पुरुलिया" हथियार काण्ड वाले विमान के पायलट किम डेवी केरहस्योद्घाटन के अनुसार उसका विमान भारत सरकार की अनुमति से ही उड़ान भर रहा था-मगर भारत सरकार ने आज तक इसे स्वीकार नहीं किया है।)
उत्तरी सुमात्रा, दक्षिण भारत होते हुए विमान मालदीव में उतरता है और वहाँ वह ईंधन लेता है। मालदीव भी चुप है- अमेरिकी घुड़की से। इसके बाद विमान दियेगो गार्सिया पहुँचता है। विमान से कार्गो तथा ब्लैक बॉक्स निकाला जाता है। यात्रियों को किसी प्राकृतिक तरीके से- जैसे, ऑक्सीजन की कमी- सदा के लिए सुला दिया जाता है। इसके बाद विमान को रिमोट कण्ट्रोल से उड़ाकर दक्षिणी हिन्द महासागर में कहीं डुबो दिया जाता है। ताकि ऐसा लगे कि ईंधन की कमी से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो।
इजरायल के अलावे ऑस्ट्रेलिया भी इस खेल में अमेरिका का सहयोगी है। चीन को अपने यात्रियों की कम, अपने शीर्ष रक्षा वैज्ञानिकों की चिन्ता ज्यादा है।
काली तस्वीर

अब उस वेबसाइट की खबर, जो एक काली तस्वीर के आधार पर गढ़ी गयी है। इस तस्वीर को अपने डेस्कटॉप पर सेव करके आप भी अगर इसकी Properties देखें, तो पायेंगे कि यह तस्वीर एप्पल आइफोन से खींची गयी है 18 मार्च को। तस्वीर काली इसलिए है कि इसे अन्धेरे कमरे में किसी तरह से खींचा गया है। वेबसाइट के दावे के अनुसार, तस्वीर के साथ निम्न सन्देश भी था:
"हमारे विमान के अपहरण के बाद अज्ञात सैन्यकर्मियों द्वारा मुझे बन्धक बनाकर रखा गया है (आँखों पर पट्टियाँ बाँधकर)। मैं आई.बी.एम. में काम करता हूँ और मैं अपने सेलफोन को चड्ढी में छुपाने में सफल रहा था। मुझे अन्य यात्रियों से अलग कर दिया गया है और मैं एक सेल में हूँ। मेरा नाम फिलिप वुड है। मुझे लगता है, मुझे नशा भी दिया गया है क्योंकि मैं ठीक से सोच नहीं पा रहा हूँ।"(“I have been held hostage by unknown military personal after my flight was hijacked (blindfolded). I work for IBM and I have managed to hide my cellphone in my ass during the hijack. I have been separated from the rest of the passengers and I am in a cell. My name is Philip Wood. I think I have been drugged as well and cannot think clearly.”)

एप्पल आईफोन जानता है कि वह कहाँ पर है। वेबसाइट के अनुसार, itouchmap.com की मदद से पता चलता है यह तस्वीर निम्न अक्षांश-देशान्तर पर ली गयी हैं:
अक्षांश: -7 18 58.3
देशान्तर: 72 25 35.6
...और यह स्थान दियेगो गार्सिया के निकट का है।
***** 

2 टिप्‍पणियां:

  1. इसी विषय पर प्रशान्त द्विवेदी जी ने फेसबुक पर 27.2.2022 को जो आलेख लिखा है, उसका लिंक: https://www.facebook.com/prashant.dwivedi.370/posts/pfbid02zFWvJZbiKFWLskQMrQRvqChAciayAW1FiNzpaHKuRhkjRRseQAQvvmpsRHFtYJUol

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  2. Bahut sundar sir aur bahut shukriya...aakhirkaar 2014 ke baad pahli baar mujhe ye kahin documented mil raha hai baqi to bahut khoja kahin mila hi nahin....
    Thanks a lot...

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