शनिवार, 19 अप्रैल 2014

165. सियाचिन


       कुछ भी कहिये, पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी साहब ने हम पूर्व वायुसैनिकों का सर झुका दिया है। पहले तो वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील में उनका नाम आया (मेरे ख्याल से, वे अभी तक सन्देह के दायरे में हैं); और आज देख रहा हूँ कि वे सितम्बर' 2012 में उस गुप्त भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे थे, जो सियाचिन से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए पाकिस्तान से समझौता कर रहा था।
       आज फेसबुक पर ब्रिगेडियर अरूण वाजपेयी साहब का एक आलेख देखा, जिसमें उन्होंने एक पूर्व प्रशासनिक एवं सैन्य अधिकारी एम.जी. देवसहायम का लेख उद्धृत किया है। (फेसबुक पर मूल पोस्ट को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।) उस लेख तथा उसकी टिप्पणियों में सारी जानकारियाँ हैं। उन्हीं जानकारियों के आधार पर मैं अपनी बात लिख रहा हूँ।
       अभी भले पूर्व एयर चीफ मार्शल त्यागी साहब यह कहें कि उनके दल को सरकार ने नियुक्त नहीं किया था, वे लोग "निजी" तौर पर यह समझौता कर रहे थे, मगर यह बात कोई मानेगा नहीं कि वे ग्यारह उच्चाधिकारियों के साथ बैंकॉक, दुबई, अमेरिका और लाहौर में इतने संवेदनशील मुद्दे पर निजी तौर पर समझौता कर रहे थे। यह प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ख्वाहिश थी, जिसे श्रीमती सोनिया गाँधी का समर्थन प्राप्त था। सम्भवतः अमेरिका ने भरोसा दिलाया होगा डॉ. सिंह को कि ऐसा होने पर उनका नाम शान्ति के नोबल पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया जायेगा। दूसरी बात, चूँकि डॉ. सिंह का जन्मस्थान पाकिस्तान में है, इसलिए उनका पाकिस्तान के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर होना स्वाभाविक है। पूर्व प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल साहब का भी जन्म पाकिस्तान में हुआ था। उनके समय में भी सियाचिन से भारतीय सैनिकों को हटाने की बात हुई थी। (अब यह मत पूछिये कि जनाब नवाज शरीफ या जनरल परवेज मुशर्रफ भारत के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर क्यों नहीं रखते? "महानता" का जो कीड़ा होता है, वह विशुद्ध रुप से "भारतीय" जीन में पाया जाता है और नेहरूजी से लेकर इन्दिराजी और वाजपेयी तक बहुतों में यह कीड़ा सक्रिय था! (अफसोस कि नोबल किसी को नसीब नहीं हुआ!))
       ***    
       अब मेरी अपनी बात
       मेरे घोषणापत्र का 18वाँ अध्याय है- "भारत की नागरिकता"। इसके पहले दो विन्दु निम्न प्रकार से हैं:
"18.1 जो भारतीय मूल के हैं (यानि जिनके पूर्वज भारतीय हैं), जिनका जन्म भारत में हुआ है और जो भारत में ही रहकर आजीविका प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें भारत का पूर्ण या मुख्य नागरिक माना जायेगा- उन्हें भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त सभी अधिकार और सुविधायें प्राप्त होंगी और वे भारत सरकार की विधायिका, न्यायपालिका तथा सेना के अन्तर्गत उच्च एवं महत्वपूर्ण पद प्राप्त करने के योग्य होंगे।
"18.2 जिन भारतीयों का जन्म भारत से बाहर हुआ है; या जिनके माता या पिता भारतीय नहीं हैं; या जिनकी पत्नी/जिनके पति का जन्म भारत से बाहर हुआ है; या जिनकी पत्नी/जिनके पति विदेशी मूल के हैं; या जो कुल मिलाकर ढाई वर्ष से अधिक समय भारत से बाहर बिता चुके हैं, उन्हें भारत सरकार के अन्तर्गत किसी उच्च या महत्वपूर्ण पद पर आसीन नहीं होने दिया जायेगा।"
यानि मैंने अपने घोषणापत्र में यह जो बात लिखी है, यह बिलकुल सही है और इसे लागू होना ही चाहिए!
*** 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन वोट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    जवाब देंहटाएं