भ्रष्ट उच्चाधिकारियों को बचाने वाली संविधान की एक धारा को
सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक ठहराया, तो अखबारों ने इस पर और भी जानकारियाँ
दीं।
पता चलता है कि न्यायपालिका ने इसे 1997
में खारिज किया था। तब 1998 में अध्यादेश के जरिये न्यायपालिका के निर्णय को
निष्प्रभावी कर दिया गया था। अदालत ने फिर हस्तक्षेप किया, तब जाकर अध्यादेश हटा।
यहाँ तक तो बात ठीक है, क्योंकि यह काँग्रेस की
सरकार थी, जिसने यह अध्यादेश लाया था। मगर ताज्जुब तो यह जानकर हुआ कि 2003 में सरकार
ने पुलिस एक्ट की उस धारा को बाकायदे कानून बनाकर फिर से लागू कर दिया.... और यह
सरकार थी वाजपेयी जी की!!!
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बात निकलती है, तो दूर तलक जाती है।
पिछले दिनों मुझे जानकारी मिली थी कि 1961
से 1996 तक जितनी भी समितियाँ बनी थीं, सबने मण्डपम और धनुषकोडि के बीच की जमीन को
काटते हुए नहर बनाने का सुझाव दिया था... किसी ने भी "रामसेतु" को
क्षतिग्रस्त करने की बात नहीं कही थी!
मगर 2001 में भारत सरकार ने आश्चर्यजनक एवं
रहस्यमयी तरीके से "रामसेतु" को तोड़ते हुए नहर बनाने का आदेश दिया....
और यह सरकार थी वाजपेयी जी की!!!
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बहुत दिनों पहले कहीं पढ़ा था कि टिहरी बाँध
के निर्माण के दौरान गंगा मैया को 8 घण्टों के लिए बहने से रोक दिया गया था! लाखों
साल से बहती जिस पवित्र नदी को रोकने का दुस्साहस अँग्रेज नहीं कर पाये थे, उसे
भारतीयों की एक सरकार ने कर दिखाया- और उस सरकार के नेता थे- वाजपेयी जी!!!
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व्यक्तिगत रुप से मैं किसी के भी प्रति
दुर्भावना नहीं रखता। मगर दुर्भाग्य, कि अपने मन की बातों को सीधे-सपाट ढंग से
कहना मेरा स्वभाव है... शायद। कृपया बुरा न मानें। अगर मेरी जानकारी गलत साबित
हुई, तो मैं तत्क्षणात् क्षमायचना करूँगा।
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