रविवार, 15 जून 2014

175. 'मोदी सरकार' या 'यूपीए-3'?


       1. मुझे उम्मीद थी यह सरकार भारतीय विश्वविद्यालयों का सोया हुआ स्वाभिमान जगायेगी और उन्हें विश्वस्तरीय बनायेगी, मगर ऐसा न करके पिछली सरकार ने जो योजना बनायी थी भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों की शाखायें खोलने की, उसी योजना को यह सरकार आगे बढ़ाने जा रही है
       2. परमाणु करार की आड़ में मनमोहन सिंह जी ने अमेरिका से गुपचुप तरीके से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदने का समझौता किया था (बिना वैश्विक निविदा के! उनके हथियार हमारी सेनाओं की जरुरतों के अनुरुप भी नहीं हैं), अब मोदी जी अमेरिका यात्रा का सिर्फ यही एक मकसद हो सकता है कि यह गोपनीय समझौता जारी रहेगा!
       3. मैंने सोचा था रक्षा-प्रतिरक्षा मे क्षेत्र में यह सरकार देश को स्वावलम्बी बनायेगी, मगर हो रहा है बिल्कुल उल्टा- इस क्षेत्र में एफडीआई को शत-प्रतिशत करके!
       4. लग्जरी गाड़ियों में डीजल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। डीजल है ट्रक, बस, ट्रैक्टर, रेल इंजन, जेनरेटर, पम्प सेट-जैसी मशीनों के लिए। मगर यह सरकार पिछली सरकार की ही नीति को आगे बढ़ा रही है डीजल को बाजार के हवाले करके- सब जानते हैं इससे माल के ढुलाई, खेती-बाड़ी सब महँगी होगी, जो महँगाई को और बढ़ायेगी।
       5. वढेरा का वीवीआईपी दर्जा कायम रहना या प्रियंका को सरकारी बँगले का अवैध आबण्टन जारी रहना अजीब लगता है... । लगता नहीं है कि वढेरा के खिलाफ कोई जाँच-वाच नहीं होने वाली है।
       6. जब अम्बानी के गैस की कीमत दोगुनी करने की बारी आई, तो "कार्रवाई" और जब जनता को महँगाई से तत्काल राहत दिलाने की बारी आई, तो "सब्जबाग", वह भी 100 दिनों बाद, तो 60 महीनों बाद के... यहाँ तक कि 2022 तक के...?
       7. सब जानते हैं कि प्रवाह न होने के कारण गंगा न केवल प्रदूषित हो रही है, बल्कि मर रही है; ऐसे में उत्तराखण्ड में (गंगा तथा सहायक नदियों पर) प्रस्तावित 90 के करीब बाँधों की परियोजनाओं को न केवल अविलम्ब रद्द करने की जरुरत है, बल्कि (टिहरी से लेकर फरक्का तक) बन चुके बन चुके बाँधों को तोड़ने की जरुरत है; मगर इस सरकार ने सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने का फैसला लेकर साबित कर दिया है कि यह बड़े बाँधों की पक्षधर है। गंगा में थूकने पर जुर्माना लगाने की बात करके लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है!
       8. लीजिये, एक और खबर कि विदेशी काला धन वालों के नामों की सूची जारी करने से इस सरकार ने भी मना कर दिया है। (जहाँ तक एसाअईटी गठन की बात है, यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कारण एक बाध्यता थी।) देशी काला धन वालों पर नकेल कसने का एक मामूली उपाय यह है कि लॉकरों की गोपनीयता समाप्त की जाय, मगर लगता नहीं है कि ऐसा होगा।

       हमें सोचना पड़ेगा- यह "मोदी सरकार" ही है... या "संप्रग-3" सरकार???   

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