कुछ समय पहले कहीं ऐसा ही कुछ पढ़ा था कि "व्यक्ति
विशेष" पर प्रतिक्रिया देना छोटी बात है; "घटना विशेष" पर
प्रतिक्रिया देना मध्यम दर्जे की बात है, तथा "विचार विशेष" प्रतिक्रिया
देना ऊँचे दर्जे की बात है।
जब इसे नहीं पढ़ा था, तब भी मैं व्यक्ति
विशेष से जुड़ी बातों पर कुछ लिखने से बचता था; घटना विशेष पर कभी-कभार प्रतिक्रिया
देता था, मगर उसी के बहाने एक विचार प्रस्तुत करने की कोशिश करता था और सिर्फ विचार
विशेष पर लिखना मैं पसन्द करता था।
खैर, तारा शाहदेव बनाम रंजीत उर्फ रकीबुल
प्रकरण पर मुझे सिर्फ इतना कहना है कि यह हमारी आज की व्यवस्था का एक आदर्श उदाहरण
है। कमोबेश सारे देश में ऐसी ही सड़ी-गली व्यवस्था कायम है, जिसमें रंजीत उर्फ
रकीबुल जैसे माफिया के हमाम में सत्ताधारी तथा पुलिस-प्रशासन-न्यायपालिका के
उच्चाधिकारी नंगे होकर नाचते हैं!
दुःख तो यह देखकर होता है कि फिर भी हमारे
देश का जागरुक वर्ग इस महान व्यवस्था पर कुर्बान हुए जा रहा है... किसी को इसकी
सड़ान्ध नहीं आती!
मुझे डर है कि
इस मामले में कहीं ऐसा न हो जाये कि रंजीत उर्फ रकीबुल या तो बाइज्जत बरी हो जाये
या मामूली सजा काटकर वापस आ जाये और दूसरी तरफ तारा शाहदेव को किसी झूठे मुकदमें
में फँसाकर उसका जीना मुहाल कर दिया जाय...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें