सोमवार, 13 अगस्त 2012

हे भगवान!



आज सुबह-सुबह टीवी पर एक समाचार देखकर मन बड़ा विचलित हुआ। 1999 से, यानि विगत 14 वर्षों से, पाकिस्तान से आया एक सिक्ख परिवार भारत की नागरिकता पाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है, मगर उसे अब तक नागरिकता नहीं मिली है। इतना ही नहीं, जैसा कि परिवार के मुखिया सरदारजी बता रहे थे- सरकारी दफ्तर में उन्हें ‘ऐ पाकिस्तानी इधर आओ’ ‘ऐ पाकिस्तानी उधर जाओ’ कहकर अपमानित किया जाता है!
      इण्टरनेट पर जानकारी हासिल करने पर पता चला- विगत 14 वर्षों से ही अमृतसर में रह रहीं नरनजीत कौर को हर पाँचवे साल में डरते-डरते पाकिस्तान जाना पड़ता है- पासपोर्ट के नवीणीकरण के लिए; जबकि पेशावर का इलाका महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। उन्हें हर दूसरे साल दिल्ली भी जाना पड़ता है- भारत में रहने की अनुमति बढ़वाने के लिए!
      इस खबर को जानने के बाद मेरा ध्यान गया कि ‘फेसबुक’ पर बहुत दिनों से एक जानकारी तैर रही है कि कनाडा वासिनी ब्लू फिल्मों की अभिनेत्री सनी लिओन को दो घण्टों के अन्दर भारत की नागरिकता प्रदान कर दी गयी है! (इस अभिनेत्री को यहाँ के फिल्मकारों ने बुलाया है- हालाँकि यह एक गलत परम्परा की शुरुआत है) बेशक, दो घण्टों में नागरिकता वाली यह खबर सही ही होगी।
      मैं सोच में पड़ गया हूँ- विश्व के किसी भी कोने में अगर कोई हिन्दू प्रताड़ित होगा, तो वह भारत के सिवा भला और कहाँ का रुख करेगा? और इस देश में ऐसे शरण माँगने वालों को तत्काल नागरिकता देने की कोई व्यवस्था ही नहीं है? अगर ऐसे मामलों में कुछ अड़चने हैं, जिसके कारण समय लगता है, तो दो घण्टों में नंगी फिल्मों की एक नायिका को कैसे नागरिकता दे दी गयी? कैसे करोड़ों अवैध बाँग्लादेशी घुसपैठियों को चन्द दिनों के अन्दर राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स इत्यादि मुहैया करा दिये जाते हैं?
      इस देश की वर्तमान अवस्था पर कहने को तो बहुत कुछ मन करता है, मगर फिलहाल मैं ऊपरवाले से यही पूछता हूँ कि और कितने दिनों का दुर्दिन हमें देखना पड़ेगा भगवान? और कितना पतन लिख रखा है तुमने इस देश के नसीब में? कोई ‘रखवाला’ भी तय किया है तुमने, या इस देश को मिटा देने पर ही तुल गये हो? 

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