गुरुवार, 2 अगस्त 2012

मेरा अनुमान और अन्ना की घोषणा


निम्नलिखित आलेख को मैंने 28 जुलाई, शनिवार की शाम अपनी डायरी में लिखा था और रविवार 29 जुलाई को मैंने इसे कम्प्यूटर पर टाईप करना शुरु कर दिया था। आम तौर पर मैं आलेख को पूरा करके उसी दिन अपने ब्लॉग या/और फेसबुक पर पोस्ट कर देता हूँ, मगर यह पहली बार हुआ था कि 29 जुलाई को इस आलेख को अधूरा छोड़कर मैं एक दूसरा आलेख (‘मैं सही रास्ते पर हूँ...’) लिखने लगा।
आज, 2 अगस्त को जब टीम अन्ना ने (कारण चाहे जो भी हो) सत्ता सम्भालकर बदलाव लाने की घोषणा की, तब मुझे अहसास हुआ कि 28-29 जुलाई को मैंने कितना सही आकलन किया था!
फिलहाल मैं इस अधूरे आलेख को ही यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ। इसके अगले हिस्से (यानि विकल्पों की नीर-क्षीर विवेचना) को फिर कभी टाईप करूँगा:-

29/7/12
आम चुनाव’ 2014: विकल्प क्या है?
      2014 के आम-चुनाव के मद्दे-नजर विकल्पों की चर्चा करने से पहले कुछ कड़वी सच्चाईयों को दुहरा लिया जाय-
      1. देश की (बल्कि दुनिया की) परिस्थिति बद-से-बदतर होती जा रही है- चाहे बात गरीबी की हो, अर्थव्यवस्था की हो, पर्यावरण की हो, जनसंख्या की हो, या अन्धाधुन्ध विकास की;
      2. देश को आमूल-चूल (Upside down) परिवर्तनों की जरुरत है; (जरुरत तो दुनिया को है, मगर शुरुआत भारत से होनी चाहिए। हालाँकि यह भी खबर है कि दक्षिण-अमेरीकी देश वेनेजुएला में राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के नेतृत्व में आदर्श परिवर्तनों का दौर शुरु हो चुका है। भारतीय मीडिया इसकी खबर नहीं देता, क्योंकि यह परिवर्तन उदारीकरण तथा अमेरीकी-नीतियों के खिलाफ जा रहा है!)
      3. जब तक एक देशभक्त, ईमानदार और साहसी नेता के हाथों में देश की सत्ता नहीं आती, हम बड़े बदलावों की आशा नहीं रख सकते; (नीचे से आप छोटे-मोटे बदलाव ला सकते हैं देश में, पर राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े बदलाव लाने के लिए आपको सत्ता थामकर ऊपर से ही कोशिश करनी होगी!)
      4. यह सही है कि नगरों के आम नागरिक, कस्बों के आम कस्बाई और गाँवों के आम ग्रामीण ईच्छा-अनिच्छा से भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं, मगर देश का हर आम आदमी इस भ्रष्टाचार से त्रस्त है और इससे मुक्ति पाना चाहता है- यह भी सही है!
      ***
      आईये, अब उन विकल्पों की सूची बनायें, जो चुनाव’2014 में हमारे सामने होंगे-
      1. ज्यादातर देशवासी अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव को ‘तारणहार’ के रुप में देखते हैं;
      2. देशवासियों का एक बड़ा वर्ग नरेन्द्र मोदी को देश के भावी नायक के रुप में देखता है;
      3. कुछ रीढ़विहीन, मस्तिष्कविहीन अभागे भारतीय ऐसे भी हैं, जो एक युवराज का राज्याभिषेक देखना चाहते हैं।
      4. क्षेत्रीय, साम्यवादी तथा (‘तथाकथित’) समाजवादी दलों का एक गठबन्धन, यानि तीसरा मोर्चा ऐन चुनाव से पहले उभर सकता है;
      5. देशभक्त, ईमानदार एवं साहसी लोगों लेकर एक नये राजनीतिक दल के गठन की योजना जमीनी रुप ले सकती है।  
      अगर 5वाँ विकल्प तैयार हो जाता है, तो ज्यादा सम्भावना इस बात की है कि अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव इसी को अपना समर्थन दे देंगे- और इस प्रकार, कुल विकल्प चार ही रहेंगे।
      ***
      अब हम चारों-पाँचों विकल्पों की नीर-क्षीर विवेचना करते हैं:
      1.
                                       

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