शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

125. "शिक्षा, शिक्षा और सिर्फ शिक्षा!"



       स्वामी विवेकानन्द जी के इस कथन को याद कीजिये-
"शिक्षा, शिक्षा और सिर्फ शिक्षा। यूरोप के कई शहरों की यात्रा करके मैंने यह देखा कि वहाँ के गरीब भी शिक्षित हैं और उनकी हालत हमारे यहाँ के गरीबों से बहुत अच्छी है। यह फर्क शिक्षा ने पैदा किया है। शिक्षा आत्मबल देती है।"
***
मैंने कई बार यह कहा है कि अँग्रेजों के जाने के बाद कम-से-कम 10 वर्षों तक हमारी सरकार को शिक्षा पर बजट का लगभग 15 से 20% खर्च करना चाहिए था।
***
कहते हैं कि जब भी जागो, सवेरा समझो। त्रिपुरा सरकार ने पिछले कुछ समय से बजट का 20% शिक्षा पर खर्च किया। परिणामस्वरुप, (2009 तक उग्रवाद से प्रभावित रहे इस राज्य के) लोगों में जागरुकता आयी, कृषि उत्पादन बढ़ा, बेरोजगारी घटी, माहौल शान्तिपूर्ण हुआ, और अब बड़े संस्थान वहाँ उद्योग स्थापित करने जा रहे हैं।
वहाँ की सरकार की ओर से कहा गया है कि आगामी विश्व साक्षरता दिवस (8 सितम्बर) तक त्रिपुरा 100% साक्षर राज्य बन जायेगा!  
***
क्या देश के दूसरे राज्य इससे कुछ सीखेंगे?
शायद नहीं। क्योंकि त्रिपुरा की कमान एक "सीधे-सादे", "ईमानदार" और "गरीब" मुख्यमंत्री के हाथ में है, जबकि बाकी राज्यों को यह सौभाग्य हासिल नहीं है। यह और बात है कि त्रिपुरावासियों को यह "सौभाग्य" उनके सही "चुनाव" के कारण प्राप्त हुआ है।
*** 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें