बुधवार, 16 अप्रैल 2014

164. भारत की बीमारियों का जड़


 (8 अप्रैल को फेसबुक पर लिखा था.)
जिन्होंने सबका घोषणापत्र देखा है, क्या वे कृपया बता सकते हैं कि 20 या 30 साल से अधिक पुराने गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का वादा किस दल ने किया है?
मेरा वोट उसी दल को जायेगा
मेरी दिली इच्छा है कि सत्ता-हस्तांतरण की शर्तों तथा नेताजी सुभाष के अंतर्धान से जुड़े रहस्यों पर से पर्दा उठे
जी नहीं, मैं अतीतजीवि नहीं हूँ मुझे पता है कि किसी बीमारी के "जड़" का इलाज जब तक नहीं होगा, बीमारी लाइलाज ही रहेगी
स्वतंत्र भारत बीमार है और इसकी बीमारी की जड़ इन्हीं दो "गोपनीयता" में छुपी है
जब तक इसकी जड़ में दवा नहीं दी जायेगी, इस देश रुपी महीरूह के पत्ते पीले ही रहेंगे...
क्या किसी को इसमें कोई सन्देह है?
स्वतंत्र भारत के इतिहास के कुछ पन्नों को फिर से- बिना किसी भेदभाव के- लिखे बिना हम एक महान भारत का निर्माण नहीं कर सकते- ऐसा मेरा विश्वास है!
*** 
(23 जनवरी को अपने ब्लॉग 'नाज़-ए-हिन्द सुभाष' पर लिखा था.)
"युवराज" की बात जाने दीजिये, मैं मैदान में उतरे एक "राजनेता" तथा एक "जननेता" की बात करता हूँ
आपको क्या लगता है- प्रधानमंत्री बनने के बाद ये हमारे नेताजी सुभाष से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आदेश दे सकते हैं? साथ ही, रूस-जापान सरकारों से ऐसा ही करने का अनुरोध कर सकते हैं?
हो सकता है, आपका उत्तर "हाँ" में हो। फिर भी, मैं यही कहूँगा कि एकबार उनसे पूछ कर देख लीजिये। या उनसे कहिये कि वे अपने घोषणापत्र में इसका जिक्र करें।  
मेरा आकलन कहता है कि "राष्ट्रमण्डल" के "कोहिनूर" सदस्य देश का प्रधानमंत्री, जिसने "सत्ता-हस्तांतरण की शर्तों" के तहत "1935 के अधिनियम" की रक्षा तथा "गोपनीयता" की शपथ ले रखी हो, ऐसा कभी नहीं कर सकता! 

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