सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

कृपया डॉ. सुनीलम का समर्थन करें





शुक्रवार, 19 अक्तूबर को डॉ. सुनीलम को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी
      मामला 12 जनवरी, 1998 का है, जब मुलतई (मध्य प्रदेश) के परेड ग्राउण्ड में किसान धरना दे रहे थे। पुलिस ने इन पर गोली चला दी थी। 24 किसान मारे गये थे और 150 घायल हुए थे। दो सरकारी कर्मी- एक टी.आई. तथा फायर ब्रिगेड का एक चालक- भी इस हिंसा में मारे गये थे। तब दिग्विजय सिंह (जी हाँ, यही दिग्विजय सिंह) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
      जो 24 किसान मारे गये और 150 घायल हुए, उसके लिए कोई दोषी नहीं पाया गया; मगर जो पुलिसकर्मी तथा फायर ब्रिगेडकर्मी मारे गये, उसके लिए आन्दोलन के नेता डॉ. सुनीलम तथा अन्य दो लोगों को 14 साल बाद वृहस्पतिवार, 18 अक्तूबर को दोषी ठहराया गया और अगले रोज उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी गयी।
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      कल के ‘प्रभात खबर’ में राजेन्द्र तिवारी के कॉलम में इस न्याय की जानकारी पाकर मैं चौंक गया था। 24 किसानों की मौत के लिए कोई जिम्मेवार नहीं? कॉलम लेखक ने दो और मुद्दे उठाये हैं- 
     पहला, इन दिनों डॉ. सुनीलम केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ (जो एक उद्योगपति भी हैं) के गृह जिले छिन्दवाड़ा में अडानी समूह के पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ आन्दोलन चला रहे थे; और 
      दूसरा, सभी सामाजिक संगठनों ने इस सजा पर चुप्पी साध रखी है।
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      आज मैंने इण्टरनेट पर खोज करके डॉ. सुनीलम के बारे में थोड़ी और जानकारी बढ़ाई। आप सब से मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस समाचार को ज्यादा-से-ज्यादा फैलायें और सोशल साईट्स पर विभिन्न तरीकों से डॉ. सुनीलम के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करें।   
    


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