जरा सोचिये-
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प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री को
"लेह" ले जाने के लिए एक वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की जरुरत महसूस की जाती है।
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हेलीकॉप्टर ऐसा होना चाहिए, जो 18,000 फीट
की ऊँचाई पर उड़ान भर सके।
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निविदा जारी की जाती है। पता चलता है कि
दुनिया में एकमात्र "यूरोकॉप्टर" ही ऐसा हेलीकॉप्टर है, जो 18,000 फीट
की ऊँचाई पर उड़ान भर सकता है- यानि "लेह" तक जा सकता है। दुनियाभर में
कोई दूसरा ऐसा चॉपर है ही नहीं!
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ऐसे में, अगर भारत सरकार एक यूरोकॉप्टर
खरीद लेती, तो भला किसे परेशानी होती? एक के स्थान पर दो भी खरीद लिये जाते (दूसरा
'स्टैण्ड-बाय के लिए), तो भी किसी को आपत्ति नहीं होती। दो की जगह तीन यूरोकोप्टर खरीदने
पर भी शायद ही किसी को आपत्ति होती।
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मगर ऐसा नहीं किया जाता। भला क्यों?
क्योंकि-
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जब आप ऐसी मशीन खरीद रहे हों, जिसे सिर्फ एक
ही कम्पनी बनाती हो, तो जाहिर है कि वह कम्पनी "दलाली" पर पैसे खर्च
नहीं करेगी। दूसरी बात, जब आप उस मशीन की एक, दो या तीन ही संख्या खरीद रहे हों,
तब भी दलाली की सम्भावना नगण्य हो जाती है।
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जबकि हमारे नेताओं तथा नौकरशाहों को रक्षा-सौदों
में मोटी दलाली खाने की लत लग गयी है।
इसलिए-
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कुछ और कम्पनियों को दौड़ में शामिल करने
के लिए उड़ान क्षमता को 18,000 फीट से घटाकर 15,000 फीट कर दिया जाता है।
("लेह" जाने की जरुरत खत्म!?)
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चॉपरों की संख्या 12 की जाती है। (ध्यान
रहे, ये चॉपर "सैनिकों" की आवाजाही के लिए नहीं है, न ही ये युद्धक या
बमवर्षक हैं, ये मैदानी इलाकों यानि कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिए भी नहीं हैं;
फिर 12 ऐसे वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की क्या जरुरत थी भाई? और फिर
प्रधानमंत्री/रक्षामंत्री कौन-सा नियमित दौरा करते हैं "लेह" का?)
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जाहिर है कि सिर्फ और सिर्फ
"दलाली" पाने की आशा में यह खेल खेला जाता है, जिसमें वायुसेना प्रमुख
तक को मोहरा बनाया जाता है। (यह और बात है कि वायुसेना प्रमुख का आत्मबल मजबूत
नहीं रहा होगा, सो वे राजनेताओं/नौकरशाहों के दवाब के सामने झुक जाते हैं।)
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रक्षा-सौदों में दलाली सत्ता पक्ष व
विपक्ष के प्रमुख नेता मिल-बाँट कर खाते हैं, इसलिए सरकार बदलने के बाद भी मामला
खटाई में नहीं पड़ता है और सौदा उसी कम्पनी के साथ होता है, जो 10 परसेण्ट की दलाली
देता है।
अब स्थिति
यह है कि-
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इटली में इस दलाली की सालभर से चल रही
जाँच अब जब अपने चरम विन्दु पर पहुँच गयी है, तब अपने यहाँ नेता, नौकरशाह, दलाल, मार्शल
वगैरह मिलकर इसकी लीपा-पोती में सक्रिय हो गये हैं। लीपा-पोती के कई तरीके हैं इस
देश में- 1. सीबीआई जाँच बैठा दो; 2. ज्यादा-से-ज्यादा नाम उछालो; 3. अगले किसी
घोटाले की पोल खुलने दो; 3. किसी भावनात्मक मुद्दे को हवा दे दो।
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संसद में इस दलाली के मामले में विस्तृत
बहस न होने पाये, इसकी भी पूरी तैयारी कर ली गयी है- आज से बजट सत्र शुरु हो रहा
है- देख ही लीजियेगा....
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