यूँ तो रामसेतु (एडम्स ब्रिज) को तोड़कर जलजहाजों
के लिए रास्ता बनाने की परिकल्पना बहुत पुरानी है (यह कहानी 1860 तक पीछे जाती है),
मगर "सेतुसमुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट" का गठन फरवरी' 1997 में हुआ, जब
देवेगौड़ा साहब प्रधानमंत्री थे।
इसके सालभर बाद अटलबिहारी वाजपेयी साहब प्रधानमंत्री बनते हैं,
जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रह चुके हैं। बेशक, वे चरण सिंह, चन्द्रशेखर,
देवेगौड़ा, गुजराल-जैसे कमजोर प्रधानमंत्री नहीं थे- उन्होंने विश्व समुदाय के
खिलाफ जाकर परमाणु परीक्षण को हरी झण्डी दी और देशवासियों के स्वाभिमान को जगाया।
मगर अफसोस, कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के अमूल्य धरोहर "रामसेतु" को
तोड़नेवाली इस परियोजना को रद्द करने के बजाय पाँच वर्षों तक इसके काम को वे आगे
बढ़ाते रहे!
जब भाजपा के नेतृत्व वाली "राष्ट्रवादी"
सरकार ने इस परियोजना को रद्द करने में रुचि नहीं दिखायी, तो काँग्रेस के नेतृत्व
वाली सरकार से भला हम क्या उम्मीद रखें?
सो, इस सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में
हलफनामा दाखिल कर दिया है कि चूँकि इस परियोजना पर 829 करोड़, 32 लाख रुपये खर्च हो
चुके हैं, इसलिए अब इसे बन्द नहीं किया जायेगा- भले सरकार द्वारा ही गठित पचौरी समिति
ने इस परियोजना पर आगे बढ़ने की सलाह न दी हो! -आज अखबार में ऐसी खबर है।
अब सर्वोच्च न्यायालय के पास ज्यादा करने
के लिए कुछ नहीं है।
देखा जाय... आगे क्या होता है...
***
रामसेतु को हर कीमत पर बचाना ही चाहिए और रही बात इस परियोजना के खर्चे की तो वो सहन किया जा सकता है लेकिन रामसेतु का टूटना सहन करने योग्य नहीं है !
जवाब देंहटाएंक्या मैं आपके ब्लॉग का लिंक समाचार NEWS में "हम जिनका अनुसरण कर रहे हैं" कॉलम में दे सकता हूँ? अपनी राय मुझे बताये।
जवाब देंहटाएंहर्षवर्धन जी, मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ कि मैं समय पर आपकी इस टिप्पणी/जिज्ञासा को नहीं देख पाया. पता नहीं कैसे चूक गया.
हटाएंमैं अपनी राय में यही कहूँगा कि 'नेकी और पूछ पूछ?'
आप बेशक, इस ब्लॉग के लिंक का जिक्र कहीं भी कर सकते हैं.
इण्टरनेट में कोई सामग्री डालने का अर्थ ही है कि वह ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक पहुँचे.
ईति, शुभकामनायें और आभार.
सर आपके ब्लॉग का लिंक शामिल कर लिया है। एक बार आकर देखें :- समाचार NEWS
हटाएंएक बात और इसे भी देखे :- एक नया ब्लॉग एग्रीगेटर (संकलक) : ब्लॉगवार्ता।
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