16/3/2012
आज
वित्तमंत्री महोदय संसद में जो बजट पेश करेंगे, सो तो करेंगे ही, यहाँ एक आम
नागरिक की ओर से बजट का खाका प्रस्तुत किया जा रहा है-
मेरा बजट!
मेरे
"बजट" के मुख्य विन्दु:-
रुपये के 'मूल्य' को ऊँचा
उठाना- रुपये के मूल्य को ऊँचा उठाने के लिए दो कदम उठाये जायेंगे- पहला,
देशभर के लॉकरों में जमा अवैध सोने को जप्त कर उसे सरकारी स्वर्ण भण्डार में जमा
कर किया जायेगा; दूसरा, सभी धनी मन्दिरों से कहा जायेगा कि वे अपने स्वर्ण भण्डार
का 33 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्र को दान कर दें- हालाँकि इस सोने को मन्दिरों से
हटाया नहीं जायेगा- बहुत हुआ तो इस हिस्से को अलग कक्ष में रखवा दिया जायेगा। फिर बढ़े हुए स्वर्ण भण्डार के आधार रुपये का
पुनर्मूल्यांकन किया जायेगा।
नया सरकारी वेतनमान लागू करना- एक
व्यक्ति को ज्यादा पैसा देकर उससे चार आदमी का काम लेने के बजाय चार व्यक्तियों को
रोजगार देकर उससे सिर्फ और सिर्फ छह घण्टों का काम लेने की नीति अपनायी जायेगी।
इसके तहत सरकारी वेतनमान को कम किया जायेगा। ध्यान रहे- "रुपये का
मूल्य" बढ़ जाने के कारण इससे किसी को नुकसान नहीं होगा। इसके अलावे नये
वेतनमान में न्यूनतम व अधिकतम वेतन-भत्तों-सुविधाओं में 15 गुना से ज्यादा
का अन्तर नहीं रहने दिया जायेगा।
आयकर- 'कम लोगों से ज्यादा' कर
लेने के बजाय 'ज्यादा लोगों से कम' कर लेने की नीति अपनायी जायेगी। इसके तहत 60,000 रू. की वार्षिक आय पर 1 प्रतिशत;
70,000 पर 2 प्रतिशत; 80,000 पर 3 प्रतिशत... तथा इसी दर से बढ़ते क्रम में आयकर
लिया जायेगा, जिसकी अधिकतम सीमा मात्र 15 प्रतिशत होगी, जो दो लाख या इससे अधिक की
वार्षिक आय पर ली जायेगी।
निगम कर- इसी तर्ज पर 6 लाख से 20
लाख (और इससे ऊपर) तक के वार्षिक "लाभ" पर 1 से 15 प्रतिशत का निगम कर
लगाया जायेगा। इसके अलावे निगमों के "टर्न-ओवर" पर भी 0.001 प्रतिशत की
दर से टर्न-ओवर टैक्स लगाया जायेगा।
शेयर खरीद-बिक्री कर- शेयर बाजार की
उठा-पटक को नियंत्रित करने कि लिए शेयरों की खरीद-बिक्री पर 0.25 प्रतिशत का टैक्स
लगाया जायेगा, जिसे जरुरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकेगा।
सम्पत्ति
कर- एक करोड़ और इससे अधिक की चल-अचल
सम्पत्ति पर 1 प्रतिशत पँचवार्षिक (यानि पाँच वर्षों में एक बार) सम्पत्ति कर लिया
जायेगा; इसी प्रकार, दस करोड़ तथा इससे अधिक की सम्पत्ति पर 2 प्रतिशत और एक अरब
तथा इससे अधिक की सम्पत्ति पर 3 प्रतिशत पँचवार्षिक सम्पत्ति कर लिया जायेगा।
लगान-
जोतों के उपजाऊपन के आधार पर 1 से 5 रुपये प्रति एकड़ की दर से
वार्षिक भू-लगान निर्धारित किया जायेगा और एक एकड़ से छोटी जोत को लगान मुक्त रखा
जायेगा।
बड़े किसान को आयकर/सम्पत्तिकर के दायरे
में लाना- छ्ह एकड़ से बड़ी जोत को ‘सम्पत्तिकर’ के दायरे में तथा इससे होने वाली
कृषि-आय को ‘आयकर’ के दायरे में लाया जायेगा।
ट्रस्टों आदि को आयकर/सम्पत्तिकर के
दायरे में लाना- आयकर, सम्पत्तिकर तथा भू-लगान के
मामलों में एक ओर संयुक्त परिवारों को छूट दी जायेगी, तो दूसरी तरफ सामाजिक,
सांस्कृतिक, धार्मिक, कल्याणकारी संस्थाओं, ट्रस्टों इत्यादि को इनके दायरे मे
लाया जायेगा।
बड़े घरानों पर नियंत्रण- अगर मेरा एक
बेटा पोलियोग्रस्त हो, दूसरा स्वस्थ, तो जाहिर है दोनों को दौड़ाते समय स्वस्थ बेटे
को मैं स्टार्ट लाईन से कुछ पीछे खड़ा करूँगा। इसी नीति के तहत बड़े और मँझोले व्यवसायिक/औद्योगिक घरानों को क्रमशः 7 तथा 5 वर्षों
के लिये किसी भी नये उद्यम में पूँजी लगाने से रोक दिया जायेगा और इस अवधि में
बैंकों से किसी प्रकार की ऋण या आर्थिक मदद भी इन्हें नहीं दी जायेगी।
कुटीर/लघु उद्योगों के लिए- जिन सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं (जीरो टेक्नोलॉजी वाले) का उत्पादान लघु तथा कुटीर उद्योगों में सम्भव है, उनका मध्यम तथा
वृहत् उद्योगों द्वारा उत्पादन/निर्माण बन्द कर दिया जायेगा।
उद्योगों का विकेन्द्रीकरण- वृहत् तथा मध्यम दर्जे के नये उद्यम (सरकारी या निजी) उन्हीं
क्षेत्रों में स्थापित किये जायेंगे, जहाँ उद्योग-धन्धे नहीं हैं, या कम हैं।
विदेशी/बहुराष्ट्रीय कम्पनी पर
नियंत्रण- किसी भी बहुराष्ट्रीय/विदेशी कम्पनी को किसी भारतीय कम्पनी में 33
प्रतिशत तक पूँजी निवेश करने की अनुमति दी जायेगी- उन्हें स्वतंत्र रुप से देश में
व्यापार करने नहीं दिया जायेगा। हालाँकि
प्रवासी भारतीयों की कम्पनियों को देश की किसी कम्पनी में 49
प्रतिशत तक पूँजी निवेश की अनुमति दी जायेगी।
सरकारीकरण- बड़ी संख्या में आम लोगों को रोजगार दिलाने वाले और आम लोगों की
जरुरत की वस्तुएँ/सेवायें पैदा करने वाले उपक्रमों की 50 फीसदी हिस्सेदारी सरकार
अपने पास रखेगी तथा बाकी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी उस उपक्रम के ‘कार्यशील’ मजदूरों एवं कर्मियों के बीच बाँट
देगी।
निजीकरण- जिन उपक्रमों द्वारा उत्पादित सेवाओं/वस्तुओं का आम जनता की जरुरत
से सम्बन्ध नहीं है या कम है, उन सबका निजिकरण किया जायेगा। (जैसे कि- एयरलाइन्स)
अन्यान्य कर- ‘आम जनता के लिये’- ‘आवश्यक’ वस्तुओं/सेवाओं पर से सभी प्रकार के कर हटा लिये जायेंगे; ‘आरामदायक’ वस्तुओं/सेवाओं पर लगने वाले करों
को कम कर दिया जायेगा; और, इन सबकी भरपाई ‘विलासिता’ (आम जनता के लिये विलासिता) की वस्तुओं/सेवाओं पर कर बढ़ाकर की
जायेगी।
आयात शुल्क- इसी प्रकार, 'आम जनता के लिए' आवश्यक वस्तुओं की आयात पर 5
प्रतिशत, आरामदायक वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तथा विलासिता की वस्तुओं की आयात पर 100
प्रतिशत का आयात शुल्क लगाया जायेगा।
आयात-निर्यात- किसी भी निर्यात को- खासकर कृषि क्षेत्र से- सरकार की ओर से
प्रोत्साहन या संरक्षण नहीं दिया जायेगा। इसके
अलावे, विदेशी व्यापार को सदैव सन्तुलन की
स्थिति में रखा जायेगा- किसी भी देश (खासकर अमीर देश) से भारत उतनी ही रकम का आयात
करेगा, जितनी का वह देश भारत से आयात करता है।
पेट्रोलियम पर निर्भरता कम-
पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करने के लिए निम्न कदम उठाये जायेंगे- पहला, सभी नगरों
में छायादर फ्लाईओवर साइकिल ट्रैक बनाये जायेंगे, जिसकी संरचना 'मकड़ी के जाले' पर
आधारित होगी और जहाँ पर्याप्त मात्रा में साइकिलें भी उपलब्ध रहेंगी; दूसरा, 'प्रदूषित'
घोषित किये जा चुके नगरों/महानगरों में मोटरगाड़ियों के पंजीकरण एवं स्थानान्तरण पर
रोक लगा दी जायेगी, जो नगरों/महानगरों के 'प्रदूषणमुक्त' होने तक जारी रहेंगे; और
तीसरा, सेनाओं को उनके 'दैनिक' अभ्यास के दौरान पेट्रो पदार्थों की खपत में 33 से
66 प्रतिशत तक कटौती करने के लिए कहा जायेगा। अभ्यास की भरपाई के लिए 8 वर्षों में एक बार राष्ट्रीय
स्तर पर युद्धाभ्यास किया जायेगा, जिसमें बेशक नागरिक भी शामिल होंगे।
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