शुक्रवार, 8 जून 2012

...और वे कहते हैं कि कानून-व्यवस्था की नजर में सब बराबर हैं...


23/2/2012

     खबर है विजय माल्या की विमानन कम्पनी 'किंगफिशर' को उबारने के लिए भारतीय स्टेट बैंक 1650 हजार करोड़ रुपये का 'राहत पैकेज' देगा। पता होना चाहिए कि किंगफिशर ने पहले ही विभिन्न भारतीय बैंकों से 2000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले रखा है। विदेशी बैंकों का कितना कर्ज है, यह तो नहीं पता; मगर कुछ दिनों पहले खबर आयी थी कि एक विदेशी बैंक ने इसके जहाज को जब्त कर लिया है। कुल-मिलाकर यह कम्पनी डूबने की कगार पर है। यह भी पता होना चाहिए कि विजय माल्या का मुख्य व्यवसाय शराब बनाना है और उन्हें इस देश में "शराब के राजा" के रुप में जाना जाता है।
      यह 'राहत पैकेज' भारत सरकार के (पर्दे के पीछे से) दवाब के कारण दिया जा रहा है या नहीं- यह तो नहीं पता; मगर इतना पता है कि-
      1. किंगफिशर के कर्मियों को पिछले दो महीनों ने वेतन नहीं मिला है। उसके सी.ई.ओ. ने बताया कि "कोई बड़ा खर्च" आ गया था, जिस कारण कर्मियों का वेतन रोकना पड़ा।
      2. ठीक उन्हीं दिनों विजय माल्या ने एक खास किस्म की मोटर साइकिल खरीद कर बंगलोर की सड़कों पर उसे चलाया था। कहते हैं कि इस मोटर साइकिल की कीमत 25 करोड़ (50 लाख डॉलर) रुपये है!
      3. देश का एक आम आदमी या आम नौजवान बैंक से 30-40 हजार रुपये का कर्ज लेकर कोई व्यवसाय करे और दुर्भाग्य से, वह असफल हो जाये, तो बैंक कभी उसे 'राहत पैकेज' देने पर विचार नहीं करता है। इतना ही नहीं, शहर के दूसरे बैंक भी उसे कर्ज नहीं देते हैं। उसका जीना हराम हो जाता है। उसे पुश्तैनी अचल सम्पत्ति बेचनी पड़ती है, उसके घर की कुर्की-जब्ती होती है, उसे जेल जाना पड़ता है, यहाँ तक कि उसे आत्महत्या करनी पड़ती है! 
      निष्कर्ष के रुप में आज कुछ कहने का मन नहीं कर रहा; अब तो जी करता है- सरदार भगत सिंह या नेताजी सुभाष के दिखाये रास्ते पर चल पड़ूँ! 

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